shweta soni

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स्त्री हूं...

कभी समंदर सी तेज , अल्हड़ और बेकाबू सी ।

कभी शांत नदी , एक ठहराव चुप सी ।

कभी एक नादान ंऔर मासूम , कोमल सी ।
कभी खुद को अपने में समेटे , एक गंभीर किरदार सी ।

कभी हंसते हुए सबको हंसाये , ऐसी हंसमुख और मिलनसार सी ।
तो कभी अपने जज्बातों को , आंखों से बहने ना दे ऐसी शीतल सी ।‌

हां मैं एक स्त्री हूं , अपने आप को समेटे खुद अपनी सी...।

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14 Comments

Naresh Sharma "Pachauri"

30-Jul-2022 05:26 PM

Very nuce

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Khushbu

30-Jul-2022 05:11 PM

बहुत ही सुन्दर

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Gunjan Kamal

30-Jul-2022 12:45 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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shweta soni

30-Jul-2022 12:46 PM

धन्यवाद मैम 😊

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